राजस्थान के लोकदेवता Rajasthan ke lok devta notes in hindi
राजस्थान के लोकदेवता Rajasthan ke lok devta notes in hindi राजस्थान की विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के महत्वपूर्ण टॉपिक है. इस टॉपिक Rajasthan ke lok devta Question से राजस्थान की सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है. आज हम राजस्थान के लोकदेवता के नोट्स Pdf आपको उपलब्ध करा रहे है.
- राजस्थान के पंचपीर लोकदेवता निम्न है
सूत्र – गोपा मेरा ह
- गोगाजी, पाबूजी, मेहाजी, रामदेवजी, हडबू जी
- धर्म, धरा व धेनु की रक्षार्थ जिन महापुरुषो ने कार्य किया, संघर्ष किया और बलिदान किया वे लोकदेवता की श्रेणी में आते है.
गोगाजी ( Rajasthan ke Lok devta Gogaji Notes )
- गोगाजी चोहान वंशीय थे |
- जन्म ददेरवा [चोरु ]1003 ई. में
- तिथि भाद्रपद क्रष्ण – 9
- पिता – जेवर सिंह
- माता – बछ्लदे / बाइल
- पत्नी – केमलदे [पाबूजी के बड़े भाई बुढोजी की पुत्री व रूपनाथजी बुढोजी के ही पुत्र थे ]
- गुरु – गोरखनाथ
- घोड़ी – नीली
- ददेरवा [चुरू ]को शीर्षमेडी के नाम से जाना जाता है
- गोगामेडी [हनुमानगढ़ ]को धुरमेडी के नाम से जाना जाता है
- गोगाजी का थान – खेजड़ी के निचे
- राजस्थान में मानसून की पहली वर्षा होने के बाद जब किसान जब हल जोतने जाता है ,तब 9 गाँठों वाली गोगा रखडी [रक्षासूत्र ] हल व हाली [किसान ]दोनों को बांधने की परम्परा है
- गोगाजी ने मुस्लिम आकांता महमूद गजनवी से युद्ध किया ऐसा मन जाता है की की युद्ध में उन्होंने
- गजनवी को चमत्कार दिखाया तभी गोगाजी “जहरपिर” के रूप में लोकप्रिय हुए
- गोगाजी की स्मादी – गोगामेडी [हनुमानगढ़ ]में
- यहाँ मन्दिर का निर्माण –फिरोजशा तुगलक ने करवाया था गोगाजी की समाधी पर बिस्मिल्लाह अंकित है, जो उनके मुस्लिम समाज में भी पूज्य होने के संकेत है
- गोगाजी के प्रमुख मन्दिर –
– ददेरवा [चुरू ]
– गोगामेडी [हनुमागढ़ ]
– गोगाजी की ओल्ड [सांचोर – जालोर ]
- मुस्लिम पुजारी चायल कहलाते है |
- मेला – भाद्रक्रष्ण – 9 गोगामेडी [हनुमानगढ़] में
- गावो में विवाह के महीने भर पश्चात “तोरण “उतारकर गोगाजी के थान पर रखने की परम्परा है |
- सर्पदंश पर गोगाजी की पूजा की जाती है |
- गोगाजी का भोपा सर्प विष उतारने में कुशल समझा जाता है |
- गोगाजी ने अपने मोसेरे भाईयो अरजन एवं सुरजन के विरुद गायो को बचाने के लिए भीषण संघर्ष किया जिसमे अरजन व सुरजन मरे गये |
- गोगाजी ने यह सब घटना अपनी माता को बतायी |जिससे इनकी माता ने नाराज होकर इन्हें कभी मुंह न दखाने को कहा |
- इसके पश्चात गोगाजी ने जीवित समाधि ले ली |
राजस्थान के लोकदेवता Rajasthan ke lok devta notes in hindi
पाबूजी ( Rajasthan ke Lok devta Pabu ji Notes Pdf )–
- राठौड वंशीय थे |
- राठौड वंश के संस्थापक राव सिहा के वंशज थे
- महानायक / लोकनायक के रूप में पूजे जाते हैं
- जन्म – कोलुमण्ड [जोधपुर 1239 में ]
- पिता –धाँधल जी राठोड
- माता – कमलदे
- पत्नी – सुप्यार दे [फुलम्दे ]
- घोड़ी – केसर कलमी
- लक्ष्मण का अवतार माना जाता है
- पाबूजी का विवाह अमरकोट [वर्तमान – पाकिस्तान ] के सोढा शासक राजा सूरजमल की पुत्री सुप्यारदे से हुआ |
- ऐसा माना जाता है की शादी के दौरान फेरो के बीच से उठकर देवल बाई चारण की गायो को अपने बहनोई
- जायल नरेश जिन्दाराव खिंची से बचाने के लिए चले गये थे |
- इसी युद्ध में पाबूजी देचू गाँव [जोधपुर ] के समीप वीर गति को प्राप्त हुए
- पाबूजी का बोधचिन भाला है
- ऊटो के देवता के रूप में पाबूजी की पूजा की जाती है |
- ऊटो को टिक होने पर पाबूजी की फड को बचा जाता है
- नोट – सबसे लोकप्रिय मानी जाती है |
- राजस्थान में सर्वप्रथम ऊठ लाने वाले पाबूजी थे |
- ऊट पालने ने वाली जाती रेबारी व राईका है
- रैबारी ,थोरी ,भील , मेहर मुसलमान पाबूजी को अपना आराध्य देव मानते है |
- चाँद ,डेमा ,हरमल ,पाबूजी के सहयोगी थे |
- पाबूजी के जीवन चरित्र पर प्रकास डालने वाला महत्पूर्ण ग्रन्थ –‘पाबुप्रकाश ‘ है जिसकी रचना “मोड़जी आशिया ने की थी |
- मेला – चैत्रर अमावस्या को कोलुमण्ड [फलोदी ,जोधपुर ]
- मेले में थाली न्रत्य किया जाता है |
- नोट – अर्द्धविवाहित सोडी रानी व सुप्यारदे पाबूजी के साथ सती हो गयी |
राजस्थान के लोकदेवता Rajasthan ke lok devta notes Pdf
मेहाजी ( Rajasthan ke Lok devta Meha ji Notes )
- इनको मेहाजी माँगलिया के नाम से जाना जाता है
- ये माँगलिया जाति के ईष्ट देव कहलाते है |
- मन्दिर – बापणी गाँव [ जोधपुर ]
- यहाँ जन्माष्टिमी (भाद्रपद क्रष्ण अष्टमी ) को मेला भरता है |
- धोड़ा – कीरड कबरा |
- जेसलमेर के शासक राणगदेव भाटी के साथ युद्ध करते हुये वीरगति को प्राप्त हो गये
रामदेवजी ( Rajasthan Lok devta Ramdev ji Notes )
- जन्म – ऊण्डू काश्मीर ( बाड़मेर )
- तिथि – भाद्रपद शुक्ल 2 ( बाबा री बीज )
- पिता – अजमल जी
- पत्नी – नेतलदे
- धर्म भहन – डाली बाई मेघवाल जाति की थी |
- गुरु – बलिनाथ
- बड़ भाई – विरमदेव (बलराम का अवतार )
- धोड़ा – लीला /नीला
- रामदेवजी के उपनाम – पीरो का पीर ,रामसा पीर ,रूणीजा रा धणी ,लीला रा असवार ,
- रामदेवजी तँवर वंशीय थे |अर्जुन के वंशज व कृष्ण के अवतार माने जाते है |
- ऐसा माना जाता है की रामदेवजी ने मक्का (सउदी अरब ) से आए 5 मुस्लम पीरो के कटोरों को अपनी चमत्कारी शक्ति से यहाँ मँगवा लिए थे
- रामदेवजी ने भैरव राक्षस का वध करके पोकरण कस्बे को पुनःबसाया तथा रुणेचा में रामसरोवर का निर्माण करवाया |
- रामदेवजी के मेघवाल भगतों को रिखिया कहते है |
- जो रात्रि जागरण में भजन करते है |
- रात्रि जागरण को जम्मा कहते है |
- रामदेवजी एक मात्र लोगदेवता है जो मूर्ति पूजा के विरोधी थे |
- इनके पगल्यो की पूजा की जाती है व गाँव गाँव में पूजे जाते है
- लोकदेवताओ में सबसे लम्बा लोकगीत रामदेवजी का है |
- लोकदेवियो में सबसे लम्बा लोकगीत जीणमाता का है |
- रामदेवजी के मेघवाल जाति के भक्त रामदेवजी को आधा भोग लगाते है तथा आधा भोगलगाते है व आधा भोग डालीबाई को लगाते है |
ग्रन्थ –
- रामदेवजी एकमात्र लोकदेवता है जो कवि थे |
- चौबिस वाणियो नामक ग्रन्थ की रचना की |
- कामडिया नामक ग्रन्थ चलाया
मेले
- रुणीचा ( रामदेवरा –जेसलमेर )
- भाद्र पद 2-10 तक
- इस मेले में कामडिया जाति की विवाहित महिलाओ द्वारा तेरहताली न्रत्य किया जाता है |
- लोकदेवताओ में साम्प्रदायिक सदभावना का सबसे बड़ा मेला जँहा सभी धर्मो व जाति के लोग आते है |
- रामदेवजी ने जीवित समाधि ली थी | ( रुणीचा में )
- रामदेवजी से एक दिन पूर्व डालीबाई ने समाधि ली भाद्रपद शुक्ल – 10
मन्दिर –
- मसुरिया पहाड़ी –जोधपुर
- बिराटिया खुर्द – पाली
- सुरतखेडा – चित्तौड़गढ़
- छोटा रामदेवरा – गुजरात
- मन्दिर को देवरा कहते है
- मन्दिर में पंचरंगी ध्वजा को ‘नेजा ‘कहा जाता है |
- रामदेवजी की समधी पर कपड़े के घोड़े चडाने की परम्परा है |
राजस्थान के लोकदेवता Rajasthan ke lok devta notes in hindi
हडबूजी ( Rajasthan ke Lok devta Hadbu ji Notes Pdf )
- जन्म – भूडोल [नागोर ]
- मन्दिर – बेगंटी फलोदी ( जोधपुर )
- निर्माण – अजीत सिंह
- पिता – मेहाजी सँखला
- गुरु – बलीनाथ
- ये रामदेवजी के मोसेरे भाई थे
- वाहन – सियार
- पूजा – बेलगाडी की
- मारवाड़ के शासक राव जोधा के समकालिन थे तथा राव जोधा को मेवाड़ के अधिकार से मारवाड़ को मुक्त कराने के लिए तलवार व कटार भेट की |
तेजाजी ( Rajasthan ke Lok devta Teja ji Notes )
- जन्म – खरनालिया ( नागौर 1074 ई )
- मन्दिर – सुरसुरा ( अजमेर )
- पिता – ताहड जी जाट
- माता – राजकुँवर
- पत्नी – पेमलदे
- धोड़ी – लीलण / सिणंगारी
- तेजाजी नाग वंशीय थे |
- मेला – भाद्रपद शुल्क 10
- गोत्र – धोल्या जाट
- कार्यस्थल – बांसी दुगारी ( बूंदी )
- तेजाजी ने लाछा गुजरी की गायो की रक्षा मेर के मीणा से की
- तेजाजी को गायो का मुक्तदाता कहा जाता है
- तेजाजी को काला व बाला के देवता एवं कृषि कार्यो के उपकारक देवता के रूप में ख्याति प्राप्त है |
- तेजाजी का सर्पदंश सैंदरिया गाँव(अजमेर) में हुआ
- तेजाजी की मृत्यु सुरसरा(अजमेर) में हुई
- तेजाजी की स्मृति में ब्यावर में तेजा चौक में प्रतिवर्ष भाद्रशुक्ल-10 तेजादशमी मेला भरता है
- तेजाजी पशुमेला-
- परबतसर नागौर में
- भाद्रपद शुक्ल – 10 से पूर्णिमा तक
- राजस्थान का सबसे बड़ा पशुमेला है
- राजस्थान में सर्वा पशु मेलो का आयोजन नागौर में होता है |
- राजस्थान सरकार को सबसे अधिक आय इसी पशु मेले से होती है |
- साँप या कुत्ते के काटने पर तेजाजी की पूजा की जाती है |
देवनारायण जी ( Rajasthan ke Lok devta Devnarayan ji Notes )-
- उपनाम – देवजी ,उदलजी ,उदल ,भगवान
- इनको भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है |
- बचपन का नाम उदयसिंह है |
- गुजरो के लोकदेवता
- पिता – सवाई भोज
- माता – सेडू खटणी
- पत्नी – पीपल दे
- घोडा – लीलागर
- जन्म 911 ईस्वी में भीलवाडा जिले की आसीन्द तहसील के गोठ दंडावता नामक गाँव में हुआ है |
- जन्म – मालासेरी नामक स्थान पर हुआ|
- देवनारायण जी व पीपलदे का पुत्र बीला व पुत्री बीली थी|
- मन्दिर में पूजा – ईंट की
- पूजा के समय नीम के पत्तों की अनिवार्यता|
- देवनारायणजी ने नीम व गोबर को औषधीय महत्व बताया है |
- देवनारायणजी की सेना में 1444 ग्वालो का होना बताया है |
मन्दिर
- गोठ दडाँवता –आसीन्द [ बिलवाडा ]
- देवधाम – जोधपुरी {निवाई टोक }
- देवमली – अजमेर
- देव डूंगरी – चितोड़गढ़
- देवनारायणजी की मृत्यु देह्माली [ अजमेर ] में भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को हुई
- देवनारायण का मेला – देवधाम { निवाई } टोक
- राजस्थान की सबसे लम्बी व छोटी फड – देवनारायणजी की
- देवनारायण की फड पर 2 सितम्बर 1992 को 5 रु का डाक टिकट जारी किया |
वीर कल्लाजी ( Rajasthan ke Lok devta Veer Kallaji Notes )–
- जन्म – मेड़ता [ नागौर ]
- पिता – आससिंह [ आससिह , जयमल ,फुलकँवर , व , मीराबाई ,रतनसिंह , की संतान थी व फुलकँवर फत्ता की पत्नी थी |
- राठौड़ वंशीय थे |
- शेषनाग के अवतार माने जाते है |
- जड़ी बूटी के ज्ञाता माने जाते है
- छतरी – चितोड़गढ़ दुर्ग में
- गुरु – भौरुनाथ
- सर्वाधिक बासवाँडा में सर्वाधिक पूजे जाते है |
- 1567 ई जब अकबर ने मेवाड़ महाराणा प्रताप के शासन कल में आक्रमण किया तो उदयसिंह की और से जयमल राठोड ने वीरता का परिचय दिया था |
- वीर कल्ला ने अपने इस युद्ध में अपने ताऊ जयमल राठोड को कन्धो पर बैठाकर युद्ध किया तथा इस युद्ध में चार तलवारे एक हाथ चलती दिखी |
- वीर कल्ला के विभिन्न नाम केहर , कल्याण , कमधज , योगी , बालब्रहचारी राणा सँगा के पुत्र भोजराज की पत्नी मीराबाई कल्लाजी की बुआ थी |
मामादेव ( Rajasthan ke Lok devta Mamadev ji Notes )-
- मन्दिर – गाँव के बहार मुख्य मार्ग पर ये बरसात का लोकदेवता है |
- पूजा – लकड़ी के तोरण से
- भेसे की बली दी जाती है |
- मेला – रामनवमी को स्यालोदडा [सीकर ] में |
वीर बिग्गाजी ( Rajasthan ke Lok devta Veer Biggaji Notes )-
मन्दिर – बीकानेर
- जन्म – जंगला प्रदेश [ बीकानेर ] |
- जन्म – जाट परिवार में
- कुल देवता के रूप में – जाखड समाज पूजता है |
- बिग्गाजी ने मुस्लिम लुटेरो से गायो को बचाने के लिए अपना सर्वस्व लुटा दिया |
देव बाबा ( Rajasthan ke Lok devta Dev Baba ji Notes ) –
- मन्दिर – नगला लहाज [ भरतपुर ] |
- वाहन – भैसा गुजर व ग्वालो का लोकदेवता है
- पशु चिकित्सा का ज्ञाता
- मेला –
1 . चेत्र शुक्ल 5
2 . भाद्रपद शुक्ल 5
- मेले में ग्वालो को भोजन कराने की परम्परा है |
बाबा झुझारजी( Rajasthan ke Lok devta Baba Jhujhar ji Notes )
जन्म – इमलोह गाँव [ सीकर ]
- मन्दिर – सीकर
- मेला – रामनवमी को
डूँगजी – जवाहरजी ( Rajasthan ke Lok devta Dung ji Notes )
- इनका संबध सीकर शेखावटी से है |
- आपस में संबंध चाचा भतीजा का था |
- कार्य – अमीरों को लूटना व गरीबो को बँटना
- आऊवा पाली व नसीराबाद [ अजमेर ] को लुटा |
- गरीबो के लोगदेवता है |
- शेखावाटी को रॉबिन हुड के नाम से जाना जाता है
पनराज जी ( Rajasthan ke Lok devta Panraj ji Notes )
- मंदिर- जैसलमेर
भोमिया जी ( Rajasthan ke Lok devta Bhomiya ji Notes )
- भूमि रक्षक लोकदेवता
मल्लीनाथ जी ( Rajasthan ke Lok devta Mallinath ji Notes )
- मंदिर – तिलवाड़ा (बाड़मेर)
- बाड़मेर के मालाणी क्षैत्र का नामकरण इन्ही के नाम पर हुआ|
- मालवा के शासक निजामुद्दीन से युद्ध किया
- इन्होने कुंडा पंथ की स्थापना की
- मल्लीनाथ पशु मेला – बाड़मेर में
- राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला
- इनकी रानी रूपा दे का मंदिर – मजल गाँव (बाड़मेर)
तल्लीनाथ जी ( Rajasthan ke Lok devta Tallinath ji Notes )
- वास्तविक नाम – गांगदेव राठौड़
- गुरु – जालन्धर नाथ
- मंदिर – पंचमुखी पहाड़ी, पांचोटा गाँव ( जालौर )
- तल्लीनाथ जी एकमात्र लोकदेवता है, जिन्होंने वृक्ष काटने पर रोक लगाई थी
- आज भी पंचमुखी पहाड़ी पर कोई पेड़ पौधा नही काटा जाता है
- यह क्षैत्र तल्लीनाथ जी का ओरण कहलाता है
भूरियाबाबा ( गोतमेश्वर ) ( Rajasthan ke Lok devta Bhuriya Baba ji Notes )
- मंदिर – पोसालिया गाँव ( सिरोही )
- जवाई नदी के किनारे
- मीणाओ के लोकदेवता है
- मीणा जनजाति के लोग इसकी झूठी कसम नही खाते है
- वर्दीधारी पुलिस का मंदिर में प्रवेश वर्जित है
- अन्य मंदिर – प्रतापगढ़ , पाली, सिरोही, बांसवाडा
इलोजी ( Rajasthan ke Lok devta Elogi ji Notes )
- मारवाड़ क्षैत्र में सर्वाधिक पूजे जाते है
- होलिका के प्रेमी लोकदेवता
- होली के अवसर पर पूजा की जाती है
- छेड़छाड़ के लोकदेवता
- होली के दिन जालौर क्षेत्र में इनकी बारात निकली जाती है
रूपनाथजी / झरडा जी ( Rajasthan ke Lok devta Roopnath ji / jharda ji Notes )
- रूपनाथ ने अपने चाचा पाबू जी व अपने पिता बुढोजी की मौत का बदला जिन्दराव खींची को मरकर लिया
- हिमालय प्रदेश में बाबा बालकनाथ के रूप में पूजे जाते है
- इनकी नाथ सम्प्रदाय से अधिक आस्था थी तथा जीवन के अंतिम वर्षो में नाथ सम्प्रदाय सर दीक्षा ली तभी से ये रूपनाथ कहलाये
- मंदिर –
- कोलुमंड (जोधपुर )
- सिंभूदडा ( बीकानेर )
केसरिया – कुँवरजी ( Rajasthan ke Lok devta Kesriya kunwar ji Notes )
- ये गोगाजी के पुत्र थे
- इनका भोपा सर्पदंशासे पीड़ित व्यक्ति का ईलाज सफलतापूर्वक करता है
- इनके भोपे डेरू नामक वाध्य यंत्र का प्रयोग करते है
- मंदिर – चुरू
आलमजी ( Rajasthan ke Lok devta Aalamji Notes )
- मंदिर – मालाणी प्रदेश ( बाड़मेर ), लूणी नदी के किनारे
- मेला – भाद्रपद शुक्ल -2
- इन्हें जैतमलोत राठौड़ के नाम से भी जाना जाता है
वीर फत्ताजी ( Rajasthan ke Lok devta Veer Fatta ji Notes )
- जन्म – सांधू गाँव ( जालौर )
- मन्दिर – सांधू गाँव ( जालौर )
- मेला – सांधू गाँव ( जालौर ) में भाद्रपद शुक्ल-9 को
- गायो की रक्षा करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए
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हमे उम्मीद है कि यह राजस्थान के लोक देवता के नोट्स pdf (Rajasthan ke lok devta Pdf ) आपके बहुत उपयोगी साबित होंगे।